प्रस्तुत है गुणसागर आचार्य श्री ओम शंकर जी का आज 20/10/2021 का सदाचार संप्रेषण
समय पर जिसका वीरत्व जाग जाए वो वीर है l
ज्ञान बांटते बांटते बीते पांचक वर्ष
अब तो कर्म प्रवृत्त हों सब मिल सहित अमर्ष ।
सब मिल सहित अमर्ष ज्ञान हो शक्ति प्रदाता
और देशहित जिए मरे तज रिश्ता नाता ।
कर्मशक्ति के बिना यदि करते रहे विमर्श
कभी नहीं मिल पाएगा हमको वांछित हर्ष ।।
(ओम शंकर )
कर्मशक्ति के साथ हो संघबद्ध व्यवहार ,
और आचरण में रहें संयम सहित उदार ।
संयम सहित उदार रहें कमजोर न पलभर ,
दुष्ट देखकर लगें खोजने कोई तलघर ।
संयम शक्ति समुद्र वत् गगन सदृश विस्तार ,
"हम भारत के पूत हैं" यह ही ब्रह्म विचार ।।
(ओम शंकर)
यस्यास्ति भक्तिर्भगवत्यकिञ्चना
सर्वैर्गुणैस्तत्र समासते सुरा: ।
हरावभक्तस्य कुतो महद्गुणा
मनोरथेनासति धावतो बहि: ॥ भागवत् 5/18/12
का उदाहरण देते हुए आचार्य जी ने सहज मानव मनोवृत्ति 'किसी का किसी के प्रति आकर्षण ' के बारे में बताया l
पाञ्चजन्यं ऋषिकेशाे देवदत्तं धनञ्जयः। पाैण्ड्रं दध्माै महाशङ्खं भीमकर्मा वृकाेदरः।। अनन्तविजयं राजा कुन्तीपुत्राे युधिष्ठिरः। नकुलः सहदेवश्च सुघाेषमणिपुष्पकाै।।
दृष्ट्वेमं स्वजनं कृष्ण,
युयुत्सुं समुपस्थितम्।।
(गीता 1/28-।।)
सीदन्ति मम गात्राणि,
मुखं च परिशुष्यति।
वेपथुश्च शरीरे मे,
रोमहर्षश्च जायते।।
(गीता 1/29)
के द्वारा आपने सात्विक लोगों के लक्षण बताये l भगवान् कृष्ण में शक्ति बुद्धि स्थैर्य न होता तो पासा पलट जाता l
लेकिन सात्विकता भी अतिशयता को प्राप्त होती है तो हमारा पराभव होता है जिसे वीर सावरकर ने सद्गुण विकृति कहा है (उदाहरण :पृथ्वीराज चौहान )
अत्यन्त सरल बुद्धिमान् सहज प्रधानाचार्य ठाकुर साहब के पौत्र ने लटकते लड्डू कहां देखे थे?
लगाई डुढाई कौन बोलता था?
आदि जानने के लिए सुनें