14.1.22

प्रस्तुत है ध्वज आचार्य श्री ओम शंकर जी का आज दिनांक 14/01/2022 का सदाचार संप्रेषण

 सर्वगुह्यतमं भूयः श्रृणु मे परमं वचः।


इष्टोऽसि मे दृढमिति ततो वक्ष्यामि ते हितम्।।18.64।।


प्रस्तुत है ध्वज आचार्य श्री ओम शंकर जी का आज दिनांक 14/01/2022

  का सदाचार संप्रेषण 




https://sadachar.yugbharti.in/


https://youtu.be/YzZRHAHbK1w


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हर विचारशील व्यक्ति के मन में चिन्तन चलता रहता है भावनाएं घुमड़ती रहती हैं विचार आते रहते हैं योजनाएं बनती रहती हैं कभी फलीभूत होती हैं कभी नहीं


भारतवर्ष में लोकतान्त्रिक पद्धति पहले भी थी बाद में विलायती लोगों द्वारा बनाई गई पद्धति आज चल रही है


अशिक्षाअज्ञान भ्रम भय लोभ लालच हो तो प्रजातन्त्र सफल नहीं होता और क्रूर अविवेकी होने पर राजतन्त्र भी सफल नहीं होता


हम विचारशील लोगों को राष्ट्रप्रेमी लोगों को विश्वबन्धुत्व को सही रूप में प्रस्थापित करने वाले लोगों को सही रास्ता खोजना चाहिये

कम विकार वाला रास्ता अभी सही लग रहा है तो उसे ही पकड़ लें


व्यक्ति को गुरु न मानकर विचार को गुरु मानें


हम संपूर्ण विश्व की चिन्ता करने वाले भारत राष्ट्र के लिये जाग्रत रहते हैं


हम मोरध्वज दधीचि की परम्परा के लोग हैं हमने आत्म और परमात्म के संबन्ध को पहचाना है


हम भूखे रहकर भी दूसरे को खिला सकते हैं यही भारतीय संस्कृति है


हाल में ही दूसरे दल में जाने वालों पर कटाक्ष करते हुए आचार्य जी ने कहा कि यदि यह शासन औरों से बेहतर है तो इसे आगे चलने देना चाहिये और बाद में इसके दोषों पर विचार करना चाहिये

 युग भारती संगठन एक महत्त्वपूर्ण समाजोन्मुख संगठन है


हम अधिक से अधिक मार्गदर्शन दें सन् 2014 की तरह


विदेशी कुचक्रों से बचते हुए उत्तर प्रदेश में जाग्रत रहने की आवश्यकता है


परसों उन्नाव के कार्यक्रम में हम नौजवानों को प्रेरित कर सकते हैं


पहले उत्तरप्रदेश में क्या स्थिति थी आदि ये चिन्तन के विषय हैं सामान्य जनमानस जल्दी ही बातें भूल जाता है

सदाचार वेला से हम केवल प्रेरित होकर बैठे ही न रहें


हम रावण को मारते हैं विभीषण को बैठाते हैं


क्षुद्र स्वार्थ में न रहकर बृहद् स्वार्थ को देखते हुए देश को सशक्त बनायें


यदि समझ में आ जाये तो हिन्दुत्व त्याग तप विवेक वैराग्य शौर्य है और हम  हुंकारते हुए सारे विश्व को दिशा दृष्टि दे सकते हैं