10.2.22

क्षन्तृ आचार्य श्री ओम शंकर जी का आज दिनांक 10/02/2022 का सदाचार संप्रेषण

 प्रस्तुत है क्षन्तृ आचार्य श्री ओम शंकर जी का आज दिनांक 10/02/2022

  का  सदाचार संप्रेषण 




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हमारे विद्यालय में सदाचार वेला होती थी आम तौर पर विद्यालयों में प्रार्थना होती है l

1964 में  केन्द्र सरकार ने डॉ दौलतसिंह कोठारी की अध्यक्षता में स्कूली शिक्षा प्रणाली को नया आकार व नई दिशा देने के उद्देश्य से कोठारी आयोग का गठन किया था जिसने प्रार्थना को अनिवार्य बताया था

हमें सदाचार वेला का महत्त्व बाद में समझ में आया

मनुष्य की लालसा रहती है कि हमारी उन्नति हो हमारी चर्चा हो हमारे संबन्ध में लोग जानें यानि मनोविज्ञान के अनुसार आत्मप्रकाशन की वृत्ति


मनुष्य जीवन में एक छिपी भावना रहती है जो ईश्वरत्व का स्पर्श करते हुए चलती रहती है


आचार्य जी पूछते थे सबसे महत्त्वपूर्ण क्या है तो उत्तर में लोग बताते थे पैसा,पद,प्रतिष्ठा

ये सब मिले लेकिन इज्जत न मिले तो इसके संबन्ध में आचार्य जी ने एक बहुत रोचक प्रसंग बताया जब वो हमीरपुर में प्रचारक थे


कहने का तात्पर्य है आत्मसम्मान सबको चाहिये


गीता में

शुचौ देशे प्रतिष्ठाप्य स्थिरमासनमात्मनः।


नात्युच्छ्रितं नातिनीचं चैलाजिनकुशोत्तरम्।।6.11।।

शुद्ध भूमि पर, जिस पर  कुश, मृगछाला और वस्त्र बिछे हों , जो न बहुत ऊँचा  और न बहुत नीचा, ऐसे अपने आसन को स्थिरस्थापन करके....


तत्रैकाग्रं मनः कृत्वा यतचित्तेन्द्रियक्रियः।


उपविश्यासने युञ्ज्याद्योगमात्मविशुद्धये।।6.12।।


उस आसन को ग्रहण कर चित्त व इन्द्रियों की क्रियाओं को वश में रखते हुए मन को एकाग्र करके  आत्मशुद्धि हेतु योग का अभ्यास करें


मेरुदण्ड सीधा रखने का भी बहुत महत्त्व है


हमारा जितना ध्यान केन्द्रित होगा ईश्वर उसी अनुसार हमारे पास दिखाई देगा l


आगामी चुनाव के संबन्ध में आचार्य जी ने कहा 

प्रेमाबद्ध होकर अपने मत के अनुसार लोगों को मतान्तरित करें दलीलें न दें अपने विषय के प्रति सुदृढ़ रहें


विश्व में जो वैचारिक युद्ध चल रहा है उसमें हमें विजय प्राप्त करनी है योगवादी विचार आवश्यक है न कि भोगवादी विचार