20.6.24

आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष त्रयोदशी/ चतुर्दशी विक्रमी संवत् २०८१ (कालयुक्त संवत्सर ) 20 जून 2024 का सदाचार सम्प्रेषण १०५७ वां सार -संक्षेप

 प्रस्तुत है   आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज  ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष त्रयोदशी/ चतुर्दशी विक्रमी संवत् २०८१  (कालयुक्त संवत्सर )  20 जून 2024  का  सदाचार सम्प्रेषण 

  १०५७ वां सार -संक्षेप


आचार्य जी ने सांसारिक जीवन को स्पष्ट किया 

हम नए स्थान की स्मृतियां लेकर अपने उसी स्थान पर लौट जाना चाहते हैं जहां से चले थे 

इसी तरह इस संसार में भी हम कहीं और से आए हैं 


रहना नहिं देस बिराना है। 


यह संसार कागद की पुड़िया, बूँद पड़े घुल जाना है। 


यह संसार काँट की बाड़ी, उलझ-पुलझ मरि जाना है। 


यह संसार झाड़ औ झाँखर, आग लगे बरि जाना है। 


कहत कबीर सुनो भाई साधो, सतगुरु नाम ठिकाना है॥



भारत राष्ट्र परमात्मा की अद्भुत रचना है यह संपूर्ण विश्व का प्राणतत्त्व है और हम अत्यन्त सौभाग्यशाली हैं कि हमारा जन्म भरत -भू पर हुआ है और हम इसकी सेवा इसके संरक्षण के लिए कृतसंकल्प हैं 


गायन्ति देवाः किल गीतकानि, धन्यास्तु ते भारतभूमिभागे। स्वर्गापवर्गास्पदमार्गभूते, भवन्ति भूयः पुरुषाः सुरत्वात्।।


कल अन्तरराष्ट्रीय योग दिवस है 

प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी जी ने संयुक्त राष्ट्र संघ में एक प्रस्ताव रखा 

११ दिसम्बर २०१४ को संयुक्त राष्ट्र के १७७ सदस्यों द्वारा २१ जून को 'अंतरराष्ट्रीय योग दिवस' के रूप में मनाने वाले प्रस्ताव को स्वीकृति मिली। भारत के इस प्रस्ताव को ९० दिन के अन्दर पूर्ण बहुमत से पारित किया गया, जो किसी भी प्रस्तावित दिवस को संयुक्त राष्ट्र संघ में पारित करने के लिए सबसे कम समय है


योग साम्प्रदायिक पद्धति नहीं है योग का अर्थ है जोड़ना 

आत्मशक्ति को परमात्मशक्ति से संयुत करना 

योग हमारे वैदिक ग्रंथों में   वर्णित है पतञ्जलि को योगमार्ग का प्रवर्तक कहते हैं अर्थात् सेश्वर योग मार्ग का 

इससे इतर कपिल का सांख्य भी योग कहलाता है 

योग एकाग्रता लाता है योग से हमें शान्ति प्राप्त होती है


पतञ्जलि के सूत्रों पर वाचस्पति मिश्र, व्यास मुनि, भोजराज आदि ने व्याख्याएं लिखी हैं हमें इनका अध्ययन करना चाहिए 

ये शिक्षा के भाग होने चाहिए और हम जो शिक्षा ग्रहण करते आ रहे हैं वह नौकरी देने वाली शिक्षा है


योग केवल आसन मात्र नहीं है 

आचार्य जी ने यम नियम आदि स्पष्ट किए 

योग मार्ग बहुत सी समस्याओं का समाधान सुझाता है 

प्राणायाम द्वारा मृत्यु से भय तक समाप्त हो जाता है 


आचार्य जी ने बताया कि योग दिवस कल अपने गांव सरौंहां में भी मनाया जाएगा 

इसके अतिरिक्त आचार्य जी ने दिनेश जी और ललित जी का नाम क्यों लिया रविवार को होने वाली बैठक के विषय में क्या महत्त्वपूर्ण बात बताई जानने के लिए सुनें