प्रस्तुत है आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज भाद्रपद शुक्ल पक्ष अष्टमी विक्रमी संवत् २०८१ (कालयुक्त संवत्सर ) 11 सितम्बर 2024 का सदाचार सम्प्रेषण
*११४० वां* सार -संक्षेप
हमारी संस्था युगभारती के चार आयाम हैं शिक्षा स्वास्थ्य स्वावलंबन और सुरक्षा
हमारी मां हमारे पिता हमारे शिक्षकों द्वारा हमें किस प्रकार की शिक्षा दी गई है यह हमारे व्यवहार और आचरण से व्यक्त होता है इसी कारण हम लोगों ने पहला सोपान शिक्षा को चुना
यदि समाज को सबल बनाना है तो शिक्षा पर ध्यान देना होगा
यदि शिक्षा बलवती फलवती आप्तधर्म से संयुत होगी तो स्वाभाविक रूप से अपने स्वास्थ्य अपने समाज के स्वास्थ्य संपूर्ण पृथ्वी के स्वास्थ्य के प्रति जागरूक रहेंगे
आचार्य जी यही प्रयास कर रहे हैं वे अपने भावों को हमारे भीतर आरोपित कर रहे हैं
पहले हमारी शिक्षा उत्तम कोटि की होती थी वह शरीर और मन के अनेक विकारों का निरसन करती थी हमारे ग्रंथ कितने अद्भुत हैं जैसे मनुस्मृति
जिसे लेकर बहुत भ्रम फैलाया गया
पैसे के लालच में मीडिया कुछ भी प्रचारित प्रसरित करने में संकोच नहीं करती और इसका दुष्प्रभाव दिखता है हम उसकी समीक्षा कर लेते हैं जो समीक्षा करने में असमर्थ हैं वे किस प्रकार प्रभावित हो रहे हैं यह चिन्ता का विषय है
परिस्थितियां हमें जगाती भी हैं और सुलाती भी हैं जो परिस्थितियों से अप्रभावित होकर आगे बढ़ता रहता है तो समझना चाहिए उसमें कुछ वैशिष्ट्य है यही वैशिष्ट्य हमें अपने अन्दर लाना है और शिक्षा पर ध्यान देना है
हमारी भाषा भी विशिष्ट है जिस भूमि पर हम पले बढ़ें हैं वह भी अद्भुत है हमें यह समझना होगा
इसके अतिरिक्त आचार्य जी ने मिथिलेश नन्दिनी शरण जी के यूट्यूब वीडियो की क्यों चर्चा की अधिवेशन का उद्देश्य क्या है भैया प्रदीप वाजपेयी जी का नाम क्यों लिया चित्रकूट वाले संतोष जी का उल्लेख क्यों हुआ श्री प्रेम जी से संबन्धित क्या प्रसंग है गीतावली का उल्लेख क्यों हुआ जानने के लिए सुनें