प्रस्तुत है अगाधसत्त्व आचार्य श्री ओम शंकर जी का आज दिनांक 20/11/2021 का सदाचार संप्रेषण
आचार्य जी ने जो तीनों कृषि कानून वापस हुए हैं उसकी चर्चा की
देश काल परिस्थिति के अनुसार यदि विचारशील लोग कदम उठाते हैं तो उन पर विश्वास करना चाहिए और तब तक विश्वास करना चाहिए जब तक अविश्वास का कोई बहुत बड़ा कारण न हो
आचार्य जी ने हिटलर और रूस की जारशाही की चर्चा करते हुए बताया कि जहां जनमत जागरूक नहीं होता है वहां की परिस्थितियां अत्यधिक विषम होती हैं
हमारी शिक्षा ऐसी होनी चाहिए जो धीरज से आत्मविश्वास से चिन्तन से मन्थन से वैचारिक गोष्ठियों के साथ अपना भाव व्यक्त करने वाली हो
आचार्य जी ने महाभारत की चर्चा की
एकस्थाः सर्ववर्णास्ते मण्डलं बहुयोजनम् ।
पर्याक्रामन्त देशांश्च नदीः शैलान्वनानि च
यावत्तपति सुर्यो हि जम्बुद्वीपस्य मण्डलं|
तावदेव समावृत्तं बलं पार्थिवसत्तम||
वेदाध्ययनसंपन्नाः सर्वे युद्दाभिनन्दिनः|
आशंसन्तो जयं युद्धे बलेनाभिमुखा l
राजन्परिकालास्ते पुत्राश्चान्ये च पार्थिवाः।
ते हिंसन्तीव सङ्ग्रामे समासाद्येतरेतरम् ॥
तेषु कालपरीतेषु विनश्यत्स्वेव भारत ।
कालपर्यायमाहाय मा स्म शोके मनः कृथा ॥
यदि हम राम और कृष्ण से संबन्धित साहित्य को पढ़ने का अभ्यास करें तो जल्दी व्याकुल नहीं होंगे
जहां पढ़े लिखे समझदार विचारशील लोग कुछ भी ऊलजलूल बोलने लगते हैं तो वहां स्थिति गम्भीर हो जाती है
सूझबूझ के साथ अपने विचार व्यक्त करें
चिन्तन प्रक्रिया फलवती होनी चाहिए