प्रस्तुत है अनन्यमनस् ¹ आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज आषाढ़ शुक्ल पक्ष
द्वादशी ,विक्रम संवत् 2080
तदनुसार 30-06- 2023
का सदाचार संप्रेषण
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701 वां सार -संक्षेप
1 :एकाग्रचित्त
आत्मजागरण के इस नित्य सत्कर्म में आचार्य जी के सदाचारमय विचार हमें मनुष्यत्व की अनुभूति कराने की,अपने भविष्य को संवारने की, समाज और राष्ट्र के प्रति हमारे द्वारा अपने कर्तव्य का अनुभव करने की, रात्रि में हम सबके द्वारा मंगलमय निद्रा प्राप्त करने की प्रेरणा देते हैं l भगवान् राम की अहैतुकी कृपा हमारा अज्ञान रूपी अंधकार दूर करने के पर्याप्त अवसर उपलब्ध कराती है
यह वेला ऐसा ही एक अवसर है
आइये विश्वासपूर्वक इससे लाभ उठाकर शक्ति बुद्धि सामर्थ्य का संचय कर सांसारिकता से भी पूर्ण सरोकार रखते हुए दुराचरण से दूर रहते हुए शुभ्र आचरण अपनाते हुए ब्रह्मज्ञान को जीवन में उतारते हुए भौतिक जीवन की आंधी से अपने को बचाते हुए आनन्द के पथ पर अग्रसर हो जाएं
प्रायः आचार्य जी गांव की चर्चा करते हैं
प्रस्तुत है गांव पर ही लिखी आचार्य जी की सहज भावों को दर्शाती एक कविता की कुछ पंक्तियां
पहले गांव हमारा कैसा था
दुनियादारी को देख समझ जब घर लौटा
एकान्तवास की कुछ दैवीय प्रेरणा हुई
पाया कि गांव में ही पूरा एकान्तवास
है यहां शान्त सब कुछ ऐसी धारणा हुई
पर थोड़े दिन में देखा गांव नहीं वैसा
बचपन में जैसा देखा और सुना समझा
गांव का जनजीवन अभाव के साथ साथ
छल छद्मों और प्रपंचों में डूबा उलझा
गुनता हूं पहले गांव हमारा कैसा था
कितनी उदारता जनजीवन में रहती थी
हर मन में जड़ चेतन से अद्भुत ममता थी
हर हृदय प्रेम की पावन सरिता बहती थी
भावना आंख मूंदे कुछ पल सोचती रही
फिर उतर गई खोजने खोया दिव्य अतीत
.....
भारत विश्व गुरु का पद प्राप्त कर ले हम फिर से ऐसे भारत की साधना करें
कल कौन भैया गांव पहुंचे थे आचार्य जी आज कहां जा रहे हैं जानने के लिए सुनें